आठवणीतले प्रेम (भाग ३)


गणपती विसर्जन नतर ती तिच्या घरि गेली, झाला सर्व प्रकार मी माझ्या मित्राला संगीतला, त्याने मला सांगितले की जे काहि तुमच्यात पहिल्या भेटीत घडले, त्यावरुन तिला खुप ज्ञान आहे नात्यांची असे दिसते.  तू थोडा संभालुन रहा।  पन मी  त्याच्या कड्ये दुर्लक्ष केले, करण घडलेला प्रकार हा माझ्या साठी नवीन होता, मला प्रेमाचा काहिच अनुभव नवहता.  मी दुसर्या दिवशी पुणहा मित्राच्या घरी गेलो, अजुन ती तिथेच होती, ति मित्राच्या घरि येवु शकत नवती करण मित्राचि बहिन तिचयाशी जास्त बोलत नवती।  त्यामुले मला मित्रच्या घरा बाहेर उभे राहून, तिला वेग्वेगले आवाज काढयचो, कधी कधी ती बाहेर येत नव्हती ती घरा बाहेर आली की चाली बाहेर जावुन, मला टेलिफोन बूथ वरुण फोन कराची.
मला बाहेर बोलवायची, आम्ही रिक्षा पकडुन स्टेशनला जायचो, पुना घरी यायचो.  हे सर्व चालूच होते, (शनिवार,रविवार) ति दुपारी भेटायला यायची, तया नंतर ती गावी निघुं गेली, मी तिच्या फोन ची वाघ बघू लगलो, तया नंतर नवरात्रोत्सव होता, त्यात ती गुजरात मधे रहायला होती, उत्सव  मोठ्या प्रमानात सजरा होतो, म्हनुन तीला मुंबईला येता आले नाही, पन ती मला फोन करायची, मी व माझे मित्र पेयला जायचो, दांडिया बघ्यला जायचो, दशरा नतर  तिने फोन वर संगितले की ती दिवालीला येनार आहे, मी पुन्हा तिक्या विचारात गुंग झालो.  ति मुंबई ला आली, ते मित्राने सगितले पन तिचा फोन आला नाही, काय झाले   कलले नाही, मी आनी माझा  मित्र संध्याकली तिच्या  चाली समोर जावुन उभे  राहिलो.तेव्हा ती चाळी मधुन  बाहेर आली व बाजारात जाऊ  लागली, आज ती वेगलिच वागत होती,तिला मी विचरनार होतो पन रश होती जमले नाहीं, तेवढयात मित्र बोलाला  थांब आपन नतर  जाऊ बाजार मधे, मी बोलो काय झाले, आता नको तिचा नवरा आहे सोबत, मी तिच्या बाजुला  बघू लागलो एक माणुस हातात बॅग घेवुन तिच्या मांग फ़िरत होता, तो  बॉडी ने बारिक, थोडा गोरा रंगला, अश्या  प्रकारे त्याचे वर्णन होते.
मी  त्या दीवशी  तिचया चाली मधे गलो नहीं, दुसर्या दिवशी तिचा दुपारी कॉल आला ती बोलाली की मी तुला कॉल करत जयिल  सद्या माझा नवरा अस्तो सोबत, मी  महटले पाहिले काल तयाला, हो मला  सोड़ायला आले आहेत जातिल  थोद्या दिवसात. तू ऎत जा चाली मधे,असे बोलूं फोन कट केला, मी रोज तीला बघ्यला चाली मध्ये जयचो,ती पन घराबहेर  येवुन बसयची माझी वाट बघत.तिच्या कॉल ची वाट भगत बसायचो पण तिचा कॉल आला नाही,त्या दिवशी भाऊ भीज होती, मी आनी माझा मित्र दरवर्शी प्रमाणे तिच्या चाळी मधे गेलो  ति बहेर दिसली नाहीं, मला व मित्रला मित्राच्या बहिनीने ओवाळेले व अह्मी पण तिला गिफ्ट दिले , जाताणा ति दारात बसली होती दिवे लावत, तिने  मला पाहीले  ति उदास दिसत होती, आम्ही  मित्र फोटो काढायला  स्टुडिओ मधे गेलो, फोटो काढून झाल्यावर आम्ही तिच्या चाळी समोर जाऊन बसलो , ति चाळी  बाहेर  आली व निगुन गेली  मी तिला पाहिले पन मागे गेलो नाही, कारन मला महित होते  ती मला कॉल करेल.कॉल केला व विचारू लागली की तू मित्राच्या घरी काय करत होता, मी विचारले  का, आज असे का बोलत आहे,  त्यावार ती बोलली माझ्या प्रश्नाचे उत्तर दे, आज ती वेगलिच वागत होती, मी तिला झाला सर्व प्रकार संगितला, की मित्राची  बहीण आम्हाला राखी बाधते, दरवर्शी आमहि  तिच्या  घरि जातो रक्षा बंधन भाऊ बीज।  तेव्हा  ती शांत झाली, त्यावर मी तीला विचार्ले की काय झाले माझ्यावर भरोसा नाही का?  अरे तस नाही रे मी तर असच विचर्ले, तया नतर मी घरि आलो, दुसऱ्या दिवशी तिने मला कॉल केला, ती व तिची मैत्रीण भेटायला आली होती, अता परत तोच प्रशन की कुठे जायचे कारण  तिच्या सोबत मैत्रिन होती.  आहमी रिक्षा पकडली व बाग मधे जाऊन  बसलो, तिथे खुप अंधार होता, आमि बागेच्या  मध्य भागि बसलो होतो, आजू बाजुला सर्व जोडीने बसले होते, प्रतेक जन एकमेकांच्या प्रेमात होते, मी तिच्या मैत्रिणीला बोललो कि  आईस्क्रीम आंशिल का, ती वायने 10 ते 12 वर्षाची होती, ती आईस्क्रीम आनायला गेली बाजुचे वातावरन बघुन  आम्हि पन एकमेकांच्या प्रेमात वाहून गेलो, तया नतर तिची  मैत्रिन आली, आम्ही  आईस्क्रीम खात  होतो  तेवढ्यात तीची मैत्रीण बोलली ते काय करत आहे, त्याच्यावर  ती बोलली अगोदर आली असती तर तुला इथे पन तेच बघ्याला भेटले असते, त्यावर मी हसू लागलो आणि मी  विषय  बदलला. आम्ही घरि नीघून  आलो, अधुन मधुन आम्ही  भेटायचो, तो रविवारी होता, मी ताजेतवाने झालो आणि मित्रांच्या घरी गेलो,  मित्राच्या बहिनिने मला विचरले की,तुझे  काही चालू आहे का, मी शांत झालो काय बोलावे कलत नवते, मी विचरले कोनाबदल बोलत आहे तु, तिच ती जी गावावरुन आली आहे ती.  मी तीला ओलखत पन  नाही,तस काहीं असेल तर बंद कर  बरोबर नाही ती, मी बहिनीला बोललो विश्वास ठेव तस काही नाही.नतर मी तिथुन निघुन गेलो व  मित्राचया चाली मध्ये जाणे कमी केले  कारण बहिनीला  शंका होती  माझ्यावर.

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प्रेम की यादें (भाग 3)


 
गणपति विसर्जन अन्यथा वह अपने घर चली गई, जिस तरह से मैंने अपने दोस्त को सारी बात बताई, उसने मुझे बताया कि पहली यात्रा पर आपके साथ जो कुछ भी हुआ, वह उनके रिश्तों के बारे में बहुत जानकार है।  आप थोड़ा संभाल रहे हैं, फिर मैंने इसे अनदेखा कर दिया, क्योंकि जिस तरह की बात मेरे लिए नई थी, मुझे प्यार का कोई अनुभव नहीं था। मैं दूसरे दिन फिर से दोस्त के घर गया, और जब वह वहां थी, तब भी वह नहीं कर सकी  मेरे दोस्त के घर आ जाओ।  इसने मुझे एक दोस्त के घर के बाहर खड़ा कर दिया, उसे जोर से आवाज लगाई, कभी-कभी वह बाहर नहीं आया, वह घर से बाहर आया या बाहर चला गया, मुझे टेलीफोन बूथ से बुलाया गया!
              मुझे बाहर बुलाकर हम रिक्शा पकड़ लेते और स्टेशन जाते। घर वापस आ जाते।  यह सब चल रहा था। (शनिवार, रविवार) वह दोपहर में मिलने आयी , जिसके बाद वह गांव के लिए रवाना हुई। मैंने उसके फोन का इंतजार करना शुरू कर दिया,उस समय नवरात्रि थी। उसे गुजरात में रुकना था,  वहा त्योहार को बड़ी मात्रा में सजाया गया था। जब वह मुंबई नहीं आ पाती थी, तो वह मुझे फोन करती थी, और मैं और मेरे दोस्त पीने के लिए बाहर जाते थे। दांडिया देखने जाते  थे, नहीं तो उसने फोन पर कहा कि वह  दिवाली आ  रही है , मैं फिर से उलझन में था।  वह मुंबई आ गई। मुझे दोस्त ने कहा पर उसका फोन कॉल भी नहीं आया, क्या पत्ता क्या हुआ हो, मैं और मेरा दोस्त शाम को उसके गल्ली  के सामने खड़े थे। इसी समय वह गल्ली  से बाहर आई और बाजार जाने लगी।  इस बीच,दोस्त बोला मार्केट जाणा बंद करो, मैं कहा कि क्या हुआ, अब वह अपने पति के  साथ थी ।  मैंने उसकी तरफ देखना शुरू किया।  एक आदमी अपने हाथ में एक बैग लेकर जा रहा था और यह मांग कर रहा था..मैं उस दिन उसके गल्ली मै नहीं गया, दूसरे दिन उसका  दोपहर में फोन आया। उसने कहा कि मैं तुम्हें फोन करूंगी और हमेशा मेरा पति मेरे  साथ रहता है।  कल मैंने उसे देखा, हाँ वह मुझे छोड़ने आया है । बस कुछ दिन।  उसने यह कहकर फोन काट दिया , मैं रोज उसे देखने के लिए गल्ली  में जाता था, वह घर से बाहर आके मेरा इंतजार कर रही थी। उस दिन भाऊ भिज  थी, और मैं रोजकी तरह उसकी गल्ली मे गया  हर साल मे और मेरा दोस्त उसकी गल्ली मे गये, पर वह बाहर नहीं दिखी । मुझे व मेरे दोस्त को दोस्त कि बहन ने आरती से पूजा, हमने भी असे उपहार दिये।
 जब वह दरवाजे पर बैठी थी, दीपक जलाकर, उसने मेरी तरफ देखा, वह उदास लग रही थी, हम एक दोस्त की फोटो लेने के लिए स्टूडियो गए, फोटो शूट के बाद हम उसके गल्ली  के सामने बैठे, वह उसकी गल्ली बाहर आ गई  और निकल गयी ।  मैंने उसे देखा पर उके पिछे  नहीं गया।  मुझे पता था कि वह मुझे कॉल करणे जा रही है।  उसने फोन किया और पूछा कि तुम इतनी देर  दोस्त के घर पर क्या कर रहे थे।  मुझे मेरे सवाल का जवाब दो! आज वह अलग तरह से व्यवहार कर रही थी, मैंने उसे सारी बातें बताईं, कि दोस्त की बहन हमें राखी बांधती है, हर साल हम उसके घर रक्षा बंधन और भाऊ भिज को  घर जाते हैं।  तो वह शांत हो गई, और मैंने उससे पूछा कि क्या मुझपर  भरोसा नहीं है क्या तुम्हे।  ओह, नहीं, मैंने तो ऐसेही पूछा, फिर मैं घर आया, अगले दिन उसने मुझे फोन किया, वह और उसकी सहेली घूमने आए थे, और फिर वही सवाल कि कहां जाए क्योंकि वह उसके साथ अपने दोस्त को लायी थी।  हमने रिक्शा पकड़ लिया और बगीचे में बैठ गए, वहा बहुत अंधेरा था, हम बगीचे के बीच में बैठे थे, हर कोई आसपास बैठा था, हर कोई एक-दूसरे से प्यार कर रहा था।  मैने आइसक्रीम लाने गई उसकी सहेली को भेजा और माहौल को देखते हुए हमें एक-दूसरे से प्यार करणे लगे! फिर उसकी सहेली आई, हम आइसक्रीम खा रहे थे।  उस समय उसकी सहेली बोली कि वह क्या कर रहे हे !अगर वह उससे पहले आई होती, तो आप उसे यह सब यहा देखणे  मिलता. मुझे इस पर हंसी आई और मैंने विषय बदल दिया।  हम घर पे निकल गए, हमें बीच बीच मिलते थे,रविवार का दिन था, मैं तरोताजा था और मैं अपने दोस्त के घर गया। दोस्त की बहन ने मुझसे पूछा कि क्या तुम्हारा कुछ चल  रहा है। मै  शांत हो गया क्या बोलू समझ नाही आ राहा था.मैने पूछा किस बारे मे पूछ रही हो , वही जो गाव से आयी हे,मे असे पहचानता भी नही .ऐसा कुछ होगा तो बंद करदो वह अच्छी लडकी नाही हे.मैने दोस्त कि बहन से कहा ऐसा कुछ नही हे भरोसा रखो मुझपर.फिर मे वहा से निकल गया! मेने दोस्त कि गल्ली मे जन बंद कर दिया क्योकी कि उसकी बहन को मुझपर शक था!

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Memories of Love (Part 3) 


After Ganpati immersion she went to her house, I told a friend what happened, he told me that whatever happened to you on the first visit, she is very knowledgeable about relationships.  You are handling a little, Then I ignored it, because of the kind of thing that was new to me, I had no experience of love.I went to again friend house the other day, and while she was still there, she could not come to my friend's house, The friend's sister didn't talk to her much.It made me stand outside a friend's house, make a loud noise to her, sometimes she didn't come out, she came out of the house or walked out, I got a called from telephone booth..
                 Calling me outside, we would grab a rickshaw and go to the station.repeat home.  It was all going on.(Saturday, Sunday) She went to see me  in the afternoon, after which she left for the village.I started to wait for her phone, which was then Navratri.In it she was to stay in Gujarat, the festival was decorated in large quantitie.Since she couldn't come to Mumbai, she used to call me, and I and my friends went out to drink.Dandiya went to see, Dasara otherwise she said on the phone that she is going to Diwali, I was again confused about the triplets.  She came to Mumbai.That friend didn't even get her phone call, no matter what happened, I and my friend stood in front of her for the evening.So she came out of the chawl and started going to the market.In the meantime, stop talking to a friend, then go to the market, I say what happened, now she does not want her husband. I started to look at her.I started to look at her. A man was carrying a bag in his hand and demanding it..I did not go to her chawl that day, the other day she got a call in the afternoon.She said that I would call you and always be with my husband, I said yesterday I saw him, yes I have come to leave.Just a few days.  You cut the phone by saying, in your lap time, I used to go to the rally every day to see her, she was waiting for me to come out of her house.bhau bheej that day, and I went to her chawl like my friend every year and she didn't look out.My friend and I were greeted by a friend's sister and we  but gave her a gift.
When she was sitting in the door, lighting the lamps, she looked at me, she looked sad, we went to the studio to take a photo of a friend, after the photo shoot we sat in front of her chawl, her chawl came out and swallowed. I saw her and did not go back. I knew she was going to call me. She called and asked what you were doing at a friend's house.  Answer the question, today she was behaving differently, I told her all things , that the sister of a friend obstructs us Rakhi, every year we also go to her house Raksha Bandhan brother Bij.  So she calmed down, and I asked her if I didn't trust what happened.  Oh, no, I thought so, then I came home, the next day she called me, she and her friend had come to visit, and then the same question where to go because she was friends with her.  We caught the rickshaw and sat in the garden, there was a lot of darkness, we were sitting in the middle of the garden, everyone was sitting around, everyone was in love with each other.  She went to fetch the ice cream and, after seeing the atmosphere, we fell in love with each other, then her friend came, we were eating ice cream.  That time  is doing what it speaks Its friend, but he would have spoken to you, that was before I met the hydro same spectator, I feel it and I changed the subject.  We left home, we met later, it was a Sunday, I was refreshed and I went to a friend's house. A friend's sister asked me if you had anything going on.  She is from the village.We dont know eachother,if anything, then shut it down is not right. I spoke to friend sister you don't believe in it. Then I left there,I stopped my friend's chawl because his sister suspected me.

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